Tuesday, July 15, 2014

दीदार ए तसव्वुर

"गुल से मिलकर इस कदर गुलज़ार हो गया,
मैं उनकी मोहब्बत में गिरफ्तार हो गया,
दीदार ए तसव्वुर की जो एक आस थी जगी,
रुखसार वो चिलमन के पर्दों में खो गया"

"यूँ तो बहारें आती और जाती हैं बदस्तूर,
मेरा चमन सदा के लिए खुशगँवार हो गया,
इस जहाँ में हर कली  का रस चूंसते भंवरे,
और मैं किसी कली का निगेह्बान हो गया"

"उस एक मुस्कुराहट पे सौ उम्र हैं कुर्बान,
तरन्नुम में जिसकी हर एक शख्स खो गया,
हर गली की मिट्टी में है एक सौंधी सी खुश्बू,
जिस भी डगर से वो बस एक बार ग़ुज़र गया"

"अक्स"

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