Sunday, December 30, 2012

"इंतहा" 'भारत की बहादुर बाला दामिनी को समर्पित'


"बाबा के इस देश में,
दुनिया के ह्र्यदेश में,
घूम रहे नरभक्षी देखो,
इंसानो के वेश में"

"खुली सड़क पर चलना मुश्किल,
बंद बसो में हो रहा वार,
मा बहन नही कहीं सुरक्षित,
हर ओर हो रहा उन पे अत्याचार"

"बैठ बंद संसद में नेता,
कर रहे कोरी चीख पुकार,
मरता है कोई मरे बला से,
बस अपना अपना हो उद्धार"

"तिस पर भी हो गयी इंतहा,
ना रही लोकतन्त्र की सरकार,
माँग रही इंसाफ़ जो जनता,
डंडे की मिल रही है मार"

"अक्स"

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