"वो नूर सा दमकता मासूम चेहरा,
दुनिया की आँखों में चुभता क्यूँ है,
उभरती है जो कोई ख्वाहिश मेरे दिल में,
गम का बादल उन पर ठहरता क्यूँ है"
"वो नागिन सी बलखाती काली काली जुल्फें,
दिल मेरा हमेशा उनमे उलझता क्यूँ है,
झील से गहरी वो नीली नीली आँखें,
शबनम का मोती उनसे टपकता क्यूँ है"
"उन लबो पर लहरती वो एक मुस्कुराहट,
बाबस्ता जिससे सवालों का तूफान क्यूँ है,
नहीं है मेरा कोई भी सरोकार जिनसे,
जाने दिल उन सवालों से परेशान क्यूँ है"
"अक्स"
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1 comment:
नहीं है मेरा कोई भी सरोकार जिनसे,
जाने दिल उन सवालों से परेशान क्यूँ है"
अतुलजी , बस यही तो जिंदगी में सबसे बड़ा सवाल होता है. अगर इस सवाल का जवाब जिस किसी को भो मिल जाये वो हर उलझन को सुलझा लेगा. बहुत अच्छी रचना है. बधाई
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