"आज फिर कोई अपना मुझे याद आया है
दिल का दर्द काग़ज़ पर उतर आया है
बहने लग पड़ा है अतीत के पन्नो पर
जिनमे छुपा प्यारा सा कोई साया है"
"इस जहाँ में मैं किसे अपना कह दूँ
सभी ने मुझे यहाँ ठुकराया है
गैरो से करूँ भला शिकवा क्यूँ कर
जबकि मेरा साया भी अब पराया है"
"ठोकरें खाई हैं पल पल यहाँ मैने
दर्दो गम की वह्सत दिल में उभर आई है
तलाश में ना जाने किसकी साहिल
राह पर लगी नज़रों में नमी उतर आई है"
"जब कभी किसी को मैने माना अपना
उसी ने मुझे ज़िंदगी के हाथो छलवाया है
तमन्ना है फिर भी हासिल हो उसे तमाम खुशियाँ
जिसने मुझे इस मुकाम पर पहुँचाया है"
"अक्स"
Sunday, February 22, 2009
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1 comment:
very nicely written !!
Rajat
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