Monday, February 9, 2009

अस्तित्व

"मैं अकेला ही खड़ा हूँ दुनिया के मयखाने में,
अजब गजब से रंग भरे हैं जीवन के पैमाने में,
चखता रहता हूँ मैं इनको,बदल बदल कर अपना मन,
फिर भी नहीं है मिलता चैन मुझको इस जमाने में"

"शॅमा ओर परवाने का किस्सा,जहाँ ये कहता रहता है,
समय नहीं मिला है मुझे,खुद को आज जलाने में,
चाँद चकोरी की वो व्यथा,गुजरती है मेरे भी दिल से,
टीस उठी है जो एक दिल में, दब जाती नज़राने में "

"जाने क्या एहसास महकता रहता है मेरे इस दिल में,
समय नहीं मिलता जो लिख दूँ, उसको आज अफ़साने में,
परी कथा से लगते हैं सब, मुझको अपने सारे सपने,
कुछ भी नहीं अस्तित्व जिनका, दुनिया के वीराने में"

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