"दूर कहीं बादलों के सामें
एक तस्वीर नज़र आती है
कुछ धुंधली, कुछ गुमसुम्म सी
हर पल खामोश नज़र आती है"
"वो नाराज़ है शायद मुझसे
तभी ना देख मुस्कुराती है
आता हूँ शायद नज़र जब उसको
आँखें उसकी छलक जाती हैं"
"उसको मनाने का मन बना रहा हूँ
वो मुझे देखने से भी कतराती है
दो पल सुकून को आँखें बंद करता हूँ
वो तस्वीर दिल में उभर आती है"
"अक्स"
Sunday, December 21, 2008
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