"दुनिया है एक अजब तमाशा
लगता है सबको अच्छा सा
झूंठे हैं सब रिश्ते इसके
कोई नहीं है यहाँ किसी का"
"लगते हैं सब खेल खिलोने
जिन्हे चलाता उपर वाला
कब कौन मिलेगा,कौन बिछ्डेगा
समझ नहीं कोई ये पाता"
"फसें हैं हम भी मोहज़ाल में
है कोई प्यारा सा हमे जो भाता
मन कहता है छोड दे सब
पथ पर कोई नज़र ना आता"
"दुनिया के हैं खेल निराले
लगते हैं सब भोले भाले
फिर भी नहीं कोई सुहाता
ये दुनिया है एक अजब तमाशा"
"अक्स"
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