"बात है एक रात की
हो रही बरसात थी
जा रहा था मैं भीगते -२
संग किसी की याद थी"
"भीगते-२ पहुँचा मैं किसी मोड पर
नहीं आ रहा था नज़र कोई रोड पर
मुझे लगा मैं खो गया हूँ
चल रहे हैं कदम, मैं सो गया हूँ"
"तभी दी किसी ने आवाज मुझे
कहाँ जा रहा है यूँ भीगते हुए
देखा चौंककर, नहीं आया कोई नज़र
अब तो लगने लगा मुझे अंधेरे से डर"
" तभी आया ये ख्याल मुझे कि
थी आवाज ये मेरे मन की
जिसमें भरी है उमंग मेरे जीवन की
यही सोचते-२ मैं रात भर चलता रहा
कि बरसात कि रात में क्या रात भर मैं करता रहा
बरसात कि रात में क्या रात भर मैं करता रहा
"अक्स"
Wednesday, November 12, 2008
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2 comments:
चल रहे हैं कदम, मैं सो गया हूँ"
marmik rachna hai bahut hi khub.....
आभार...अक्षय-मन
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
Its very good effort ... keep it up
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