"सोचता हूँ मैं कभी-कभी
वो कौन है, और क्या है
जो छुप छुप कर आता है
सबको दिन रात तड़पाता है"
"जीवन में हंसाता है, रुलाता है
जीवन का हिस्सा बन जाता है
फिर भी नहीं कोई पहचान पाता है
कौन है वो और क्या है"
"जो हमारे मन को बहलाता है
जाएँ कभी हम जीवन में फिसल
हाथ बढाकर हमें उठाता है
कभी गम, कभी खुशियाँ दे जाता है
वो कौन है, क्या है कोई नहीं जान पाता है"
"अक्स"
Tuesday, November 4, 2008
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