Monday, November 10, 2008

वो

"दर्दे दिल बयान करूँ भी तो कैसे
यहाँ दिल की सदा कोई सुनता नहीं
दामन में मेरे ही बस उलझे हैं काँटे
कोई उनको यहाँ क्यूँ चुनता नहीं"

"वो जो अगर आज हमारी होती,
आरजू मेरी ना यूँ कुँवारी होती,
दिल की खलवतो में बसती वो,
मेरी दुनिया में ना वीरानी होती "

"जिंदगी में कुछ मुकाम ऐसे भी आते हैं
जब नहीं मिलती राही को मंजिल उसकी
भटकता रहता है वो दर बदर साहिल
उसके अपने भी साथ छोड़ जाते हैं"

"जला कर घर मेरा उन्हें क्या मिला साहिल
हमसे कहते तो हम उनका दर्द भी अपना लेते !"


"
कुछ यों मौसम--हाल बना रक्खा है मैने
दिल में तेरी जुदाई का गम पाल रक्खा है मैने
ना जाने तू क्यूँ नाखुदा हो गया साहिल
फिर भी तुझी को खुदा मान रक्खा है मैने"

"अक्स"

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