"वो पहली किरण पे उसका मुस्कुराना
हलकी सी छुअन से सिमट कर छुप जाना
वो खुशबू के झोंके से मुझको बुलाना
बुलाकर मगर फिर उसका छुप जाना "
"शर्मो हया है उसकी या कुछ और
मुझे देखकर यूँ पल्लू गिराना
इशारो से ही बातें बनाकर
यूँ उसका मुझे बेकरार बनाना"
"तकल्लुफ भरी है ये जिंदगी उसकी
क्यूँ है एक छुअन से यूँ सिकुड़ जाना
फिर अगली किरण का स्पर्श पाकर
किसी ओर पर फिर से खिलखिलाना "
"अक्स"
Friday, October 3, 2008
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