Sunday, September 28, 2008

बसंत

"गरज रहे हैं बादल गर-गर
रिमझिम पानी बरस रहा है
हर कोई हर्षित हो देखो
इधर उधर को भाग रहा है"

"पेड़ो पर पड़ रहे हैं झूले
बसंत राग भी गूँज रहा है
सुनकर खग मृग का कलरव
मन हर्षित हो झूम रहा है"

"देख बसंत की रिमझिम बेला
कलियों का भी मन हर्षाया
पंख फैला कर किया स्वागत
फिर सावन का गीत सुनाया"

"अक्स"

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