"जाने क्यूँ तेरी याद सताती है मुझे
जितना भूलना चाहूँ तू उतना याद आती है मुझे
ये तेरी निगाहों की कशिश है या मुस्कान तेरी
अब हर जगह तू ही नज़र आती है मुझे"
"मेरी निगाहों से नहीं हटता अक्स तेरा
तेरी उलझी जुल्फें ओर उलझाती हैं मुझे
झील सी गहरी निगाहों का क्या कहना
जो डूबने को बार बार बुलाती हैं मुझे"
"मेरी तमन्ना है बस एक तुझे पाने की
पर दुनिया की दीवारें दूर हटाती हैं मुझे
पार पा लूँगा इन दीवारें से भी एक दिन
बस एक तेरी सदा का इंतज़ार है मुझे
"अक्स"
Monday, September 22, 2008
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