"तडप कर दिल यूँ कहता है
तू ही जीने की है मंज़िल
ज्यों कहती साख पत्ते से
मेरे जीवन का तू साहिल"
"तू मुझमें अविरत बहती है
ज्यों बहती निर्मल जल धारा
तुझे भुलूँ भी कैसे मैं
है मेरी साँसो में तू शामिल"
"मैं धरती हूँ , तू अंबर है
मिलन अपना है ये मुश्किल
तू कंचन , कमनीय बाला
शिला सा हूँ मैं संगदिल"
"तू नदिया की एक धारा
समय का मैं एक पल क्षिन
मिलन अपना ना हो पाया
रहा हर पल तन्हा साहिल"
"अक्स"
Thursday, September 18, 2008
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