Thursday, September 18, 2008

जन्नत और दौजख

"है जन्नत क्या और दौजख क्या
बता दे कोई मुझे ये बस
क्या इनका राज है अपना
सुना दे कोई मुझे ये बस"

"है जन्नत उन दिलों की चाह
जो फिदा होते हैं औरों पर
मिटा कर खुद के जो अरमान
हुए कुर्बान ज़माने पर"

"है दौजख उनका ये जीवन
जो शैतान के बंदे हैं
लिए दिल में जो कालापन
वज़ूद-ए-खुदा से लड़ते हैं"

"रहेगा चलता जीवन में
ये किस्सा जन्नत दौजख का
यहीं जन्नत, यहीं दौजख
खुदा ने गढ रखे हैं"

"अक्स"

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