Monday, September 29, 2008

मैं

"आज मैं खुद को भूल गया
कौन हूँ, मैं क्या हूँ ?
कभी हूँ पत्थर दीवाने आम का
कभी साख से टूटा पत्ता हूँ"

"कोई कहता मयकश मैं हूँ
कोई मुझे साकी कहता है
किसी के लिए खिलौना हूँ मैं
जैसे चाहे मुझसे खेलता है"

"बेगानो की याद बाकी है
अपनो को भूल गया हूँ
खुद को खोजने की लत में
हर मंज़र से गुजर गया हूँ"

"आज मैं खुद को भूल गया हूँ
कौन हूँ, मैं क्या हूँ?"

"अक्स"

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