Monday, September 29, 2008

एक प्रश्न

"उसकी एक झलक को मैने
अपनी यादो को भी खोद डाला
पर ना मिला एक निशान भी
उसका जो मैने था बहुत संभाला"

"वो माहताब सा चेहरा
जिसमे कशिश थी प्यारी सी
था आफताब का नूर वो
जाने कहाँ छुप गया"

"खोजता हूँ उसे पल-पल
ख्वाबो ओर ख्यालो में
दिखता चाँद में साया वो
जाने क्यों मुझसे रूठ गया"

"बन पागल दर-दर भटका मैं
उसकी जन्नत ना पा सका
शबनम शोला लगती है मुझको
साहिल क्या मुझे प्यार हो गया"

"अक्स"

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