"इस तन्हा अकेले जहाँ में
ढूंढता हूँ एक साथी ऐसा कोई
जो साथ दे हर कदम पर मेरा
कह सकूँ मन में हो जो बात आई"
"कर सकूं गीले सीकवे जिससे मैं
बने जो मेरे जीवन की इक इकाई
हो जो मेरा निगहबान हर कदम पर
लगे काल सागर में मिली हो पतवार कोई"
"नहीं मिलता मगर मुझे ऐसा कोई
यूँ ही ज़िंदगी बर्बाद कर रहा हूँ
है आस दिल में मिलेगा मुझको वो
मैं जिसकी तलाश में भटक रहा हूँ"
"अक्स"
Sunday, September 28, 2008
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