"मैं आज खुश हूँ
नहीं जानता पर क्यूँ हूँ
शायद कोई अपना मिला है
जो बनकर एक फूल खिला है"
"मेरी खुशी का नहीं पारवार कोई
किसी को नहीं इससे सरोकार कोई
अपनी खुशी में मैं अकेला हूँ
तड़प गमो की भी मैं झेला हूँ"
"अंजानी खुशी मुझे जिया गयी है
बनकर धड़कन दिल में समा गयी है
यादों में रहती है हर पल
हर लम्हे को संजीदा बना गयी है"
"दिलो दिमाग़ पर छा गयी है
ये धुन्ध ना अब तक छँट पाई है
दिल में शंका है मगर अभी तक
ये क्या खुशी मैने पाई है"
"अक्स"
Thursday, September 25, 2008
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