"ठंडी ठंडी बयार का एक झोंका
होले से मुझको छूकर निकला है
मानो उड़ गया है आँचल किसी का यूँ ही
पकड़ने को वो उसको घर से निकला है"
"बहुत सर्द एहसास था उस छुअन का
मेरा रोम रोम अभी तक सहमा है
भुलाए नहीं भूलता वो एहसास मुझको
ख्वाबो में जिसके मन उलझा है"
"ढूंढता हूँ उस बयार को अभी भी
जाने वो कहाँ खो गया है
फिर भी उस छुअन का एहसास
बनकर शब्द मेरे लबो पर उभरा है"
"अक्स"
Tuesday, September 23, 2008
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