"ज़िंदगी से जद्दोजहद किए पड़ा हूँ मैं
जाने क्यूँ अपनी ज़िद पर अड़ा हूँ मैं
ना जाने क्या खोने का डर है मुझको
जो सब समेटने में लग पड़ा हूँ मैं"
"सब रेत सा फिसलता लगता है मुझे
बस खाली हाथ लिए खड़ा हूँ मैं
दुनिया हंसकर कहती है पागल मुझको
या पागलो के बीच खड़ा हूँ मैं"
"निकल पड़ा हूँ जाने किस डगर पर
या अपनी मंज़िल से भटक गया हूँ मैं
जाने किस ओर ले जाएगी ये डगर मुझको
बस यही सोच लिए चल पड़ा हूँ मैं"
"ज़िंदगी से जद्दोजहद किए पड़ा हूँ मैं
जाने क्यूँ अपनी ज़िद पर अड़ा हूँ मैं?"
"अक्स"
Monday, September 22, 2008
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