Monday, September 22, 2008

जल

"कल-कल करता बहता पानी
रंग रूप ना कोई निशानी
भेद भाव ना किसी से करता
सबके सपनो में रंग भरता"

"शीतल ओर स्वच्छ बड़ा यह
तन मन को शीतल कर देता
कभी ठहरता, कभी है बहता
हम सब को सुख देता रहता"

"प्रक्रति का वरदान यह है
अभिमान तनिक ना करता
जीवन का स्तंभ यही है
कल्पना को भी मूर्त करता"

"कल-कल करता बहता पानी
प्यार की सबको सीख है देता"

"अक्स"

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