Thursday, September 18, 2008

एहसास

“दिल में एक दबी दबी बात है शायद
होठों पर आती है रुक जाती है
कहने को जिसको ज़ुबान मचल जाती है
बात फिर भी ना ये कह पाती है”

“सोचता हूँ क्यों ये होता है
क्यों तेरी याद दिल में महक जाती है
इस महक को मैं फैला तो दूँ मगर
लगता है तेरे अक्स से डर जाती है”

"ता उमर जलाएगी शायद ये आग मुझको
जो बुझाने से और भी भड़क जाती है
दिल में जो बात दबी है मगर
होठों पर आती है रुक जाती है
होठों पर आती है रुक जाती है"

"अक्स"

No comments: